राघव चड्ढा ने संसद में एक ज़रूरी मुद्दा उठाया
राघव चड्ढा ने संसद में एक ज़रूरी मुद्दा उठाया
हम भी अपने चैनल PTN DAINIK के माध्यम से इस महत्तवपूर्ण विशय की दिल से प्रशंसा करते हैं।
गिग वर्कर्स को 10‑मिनट की डिलीवरी जैसी अवास्तविक डेडलाइन से दबाव में डालना, उनकी सुरक्षा और गरिमा को नजरअंदाज़ करने जैसा है।
भारत में गिग वर्कर्स के लिए मौजूदा कुछ प्रमुख नियम हैं:
- *सामाजिक सुरक्षा कोड (2020)* – असंगठित श्रमिकों को पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ आदि का अधिकार देता है।
- *श्रम मंत्रालय की गाइडलाइन* – काम के घंटे, न्यूनतम वेतन, सुरक्षा मानकों को परिभाषित करने की प्रक्रिया चल रही है।
- *राज्य‑स्तरीय पहल* – कुछ राज्यों ने “गिग वर्कर वेल‑बींग बोर्ड” बनाकर शिकायत निवारण और सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ावा दिया है।
- संभावित समाधान (जैसे समय‑सीमा में लेज़ी‑डिलीवरी, बीमा, यूनियन बनाना)
- मौजूदा नियमों की व्याख्या या उनकी प्रभावशीलता
एक केस जिसे अक्सर उद्धृत किया जाता है, वह है *राजस्थान प्लैटफ़ॉर्म‑बेस्ड गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन और कल्याण) बिल, 2023*। इस विधेयक ने गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लेखा में पंजीकृत करने और भुगतान सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा जैसे लॉफ़ देने का व्यवस्था की है — इन्हें पहली बार राज्य‑स्तर पर कानूनी मान्यता मिली।


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