'नैशनल हेराल्ड जिस अखबार की एक प्रति भी नहीं बिकती उस अखबार को एड के लिए दिए करोड़ों रुपये'
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'कॉंग्रेस और करप्शन दोनो आपस में पर्यावाची है'
'जिस अखबार की एक प्रति भी नहीं बिकती उस अखबार को एड के लिए दिए करोड़ों रुपये'
'इस अखबार का हिंदी अर्थ जो है वो सही माईने में 'भारत का अगर दूत' था और जो कि आज के इस दौर में हम कह सकते हैं कि 'भ्रष्टाचार का अगर दूत' बनकर सामने आया है'
मंडी की एक पत्रकार वार्ता में ब्यान देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश - जय राम ठाकुर ।
PTN Dainik / 18 April 2025
पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 'मित्रो, आज की ये पत्रकार वार्ता का विषय जो है वो नेशनल हेराल्ड स्कैम, जो आजकल बहुत बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है , उस पर हम अपनी बात कहने के लिए आप सबके बीच में आए हैं । विषय बड़ा टेक्निकल है और इसलिए मुझे पर्याप्त कागजों की भी सपोर्ट लेनी पड़ेगी'
⚫कांग्रेस और करप्शन दोनो आपस में पर्यावाची है और इस बात को हम कह सकते हैं कि देश जब स्वतंत्र नहीं हुआ था जो वैचारिक दृष्टि से उस विचार धारा के साथ सम्बंध रखते थे वो उस वक्त भरष्टाचार की बातें सोचते थे , भ्रष्टाचार करने की सोचते थे और भरष्टाचार के माध्यम से अपना घर भरने की बात सोचते थे ये नेशनल हेराल्ड जो है ये एक बहुत बड़ा जीता जागता उदाहरण है जिसके नाम है एक तरह से जब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था उससे पहले ही सोच के शायद रख लिया गया था कि आने वाले समय में देश स्वतंत्र होगा आजाद होगा और उसके बाद हम इस नेशनल हेराल्ड के इस मीडिया के इस समाचार पत्र के माध्यम से अपना भी कुछ भला करेंगे और शायद एसी सोच रही होगी उस वक्त की
⚫फिर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 'मित्रो 20 नवम्बर 1937 को Associated Journal Limited AGL की स्थापना की थी और 9 सितंबर 1938 को जब देश अजाद नहीं था नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया गया था और ये शुरुवात की थी उस वक्त पंडिज जवाहरलाल मेहरू जी ने उस वक्त जो शुरू किया था इसका जो मालिकाना हक है वो Associated Journal Limited (AGL) के पास था जो दो और अखबार भी छापती थी और ये अखबार हिंदी में जिसका नाम 'नवजीवन' था और उर्दू में उसका नाम 'कौमी आवाज' था और इस अखबार का हिंदी अर्थ जो है वो सही माईने में 'भारत का अगर दूत' था और जो कि आज के इस दौर में हम कह सकते हैं कि 'भ्रष्टाचार का अगर दूत' बनकर जिस प्रकार से हमारे सामने आया है यह स्वाभाविक रूप से बहुत बड़ी एक विडंबना बना है।
⚫जब ये अखबार शुरू हुआ था उस अखबार में ये पंक्तियाँ लिखी होती थी स्वतंत्रता खतरे में है और हमें इसकी रक्षा करनी है ये इसका भाव था कि हमें इसकी रक्षा करनी है और आज का जो समाचार पत्र था इसके जो पहले संपादक पंडित जवाहरलाल नेहरू थे और 1942 में अंग्रेजो ने इंडियन प्रेस पर हमला कर दिया और इस अख्वार को बंद कर दिया था।
⚫तब 1942 से लेकर 1944 तक इसका प्रकाशन नहीं हो सका बंद रहा, फिर 1945 में इसका प्रकाशन दोबारा शुरू किया तब इन्दिरा गांधी के पति श्री फिरोज गांधी ने इसका प्रबंधन अपने हाथ मे लिया। 1956 में AGL को गैर व्यवसायिक संस्था के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी ऐक्ट की धारा 25 के तहत इसके टेक्स में भी exemption छूट दी गई इसे टेक्स फ्री कर दिया गया 1962-63 में बहादुरशाह जफर मार्ग पर AGL को जमीन उपलब्ध करवाई गई जो लगभग 0.633 एकड़ जमीन थी।
⚫1977 में emergency के बाद जब इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थी तब इस अखबार को बंद कर देना पड़ा तब पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी को इस अखबार की कमांड सम्भाल दी गई इन सभी घटनाओं में ये सब कुछ जो भी घटित हुआ एक परिवार के इर्द गिर्द ही घूमता रहा चाहे वो जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी जी या राजीव गांधी जी चाहे तो सोनिया गांधी जी या अब राहुल गांधी जी ही क्यों न हों
⚫2010 में इसकी कमांड राहुल गांधी को सौंप दी गई जो यंग इंडिया के नाम से उपलब्ध हुई।
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