सोलन अधिवक्ताओं के पूर्व प्रधान जिला परिषद के सदस्य श्री मनोज वर्मा ने सरकार के नए संशोधन कानून से अधिकारों के हनन की लगाई गुहार


सोलन अधिवक्ताओं के पूर्व प्रधान जिला परिषद के सदस्य श्री मनोज वर्मा ने सरकार के नए संशोधन कानून से अधिकारों के हनन की लगाई गुहार  

 सोलन /25 फरवरी 2025 /विनीत सिंह 

पूर्व प्रधान अधिवक्ता ने कहा वकीलों के बिना समाज का कोई अस्तित्व नहीं हर लड़ाई में जहां भी गलत होता है वकील लड़ाई में प्रथम श्रेणी, प्रथम पंक्ति में  खड़ा मिलता है बावजूद इसके वकीलों के पास सरकार का अभी तक कोई सहयोग नहीं रहा। सरकार और वकीलों के लिए कोई सुविधा नहीं कोई स्कीम नहीं, पॉलिसी नहीं है! जो स्कीम है पॉलिसी है वह सारा सिस्टम बार एसोसिएशन जो स्टेट की होती है और जो बार काउंसिल ऑफ इंडिया का होता है, वही वकीलों के द्वारा इस सारे सिस्टम को चलाया जाता है। 

उसी से लीगल एजुकेशन होती है और जितने भी मुद्दे होते हैं वो हमारे बार काउंसिल ही देखते हैं, लेकिन सरकार एक पिछला  रास्ता अपना कर जो चोर दरवाजे  के तहत बार कौन्सिल ऑफ इंडिया हो या बार कौन्सिल ऑफ हिमाचल उस पर हर प्रकार से कंट्रोल सरकार करना चाहती है ताकि वकीलों का मुंह किसी प्रकार से बंद करवा सके इसके तहत जो संशोधन किया है उसमें नॉमिनेट करने का प्रावधान बनाया है जिसमें सरकार अपने नुमाइंदे बिठाएगी जो वकीलों के सिर पर बैठेंगे और फिर उनके निर्णय वह लेंगे। 

इसमें ये पहला प्रावधान और दोष जो हमारे और समाज के लिए घातक होने जा रहा है और इसमें एक संशोधन और किया जा रहा है कि वकीलों को स्ट्राइक करने का या अपनी बात कहने का जो प्रावधान, जो कि वकीलों के द्वारा अभी तक करते आए हैं कि जब भी कुछ गलत होता है, तो उसको भी रोकने का प्रावधान उसमें किया जा रहा है। 

इसके ऊपर कार्यवाही होगी वकीलों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे यह दमन की नीति सरकार करने जा रही है, जब 2016-17 में यह एक्ट आया था तब भी हमने कंसीडर किया था अब इस संशोधन को करने जा रही है जिसका की देशव्यापी विरोध आप देख रहे हैं। 

जो वकील अपनी सिक्योरिटी अपनी इंश्योरेंस अपनी मेडिकल सुविधाओं को जिनकी जरूरत है वो सरकार नहीं  दे नहीं रही उल्टा सरकार वकीलों के अधिकारों पर हमला कर रही है कोई भी वकील नहीं चाहता कि उसके मुवक्किल का नुकसान हो अगर हम हड़ताल पर हैं तो हमने प्रोक्सी के लिए वकील लगाए हैं लेकिन अपने रोष को प्रकट करने का और कोई तरीका नहीं है और कहा कि अभी यह लड़ाई तब तक चलेगी जब तक की नए संशोधन में से उन बातों को नहीं हटाया जाता और हमारे अधिकारों को नहीं जोड़ा जाता मिनिस्ट्री में भी हम इस अधिनियम के खिलाफ अपना ज्ञापन माननीय उपायुक्त महोदय श्री मनमोहन शर्मा के माध्यम से दे रहे हैं। 

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