चिट्टे जैसे जहरीले नशे के विरुद्ध मुहिम में प्रशासन और आम जनता की भी भागेदारी जरूरी
चिट्टे जैसे जहरीले नशे के विरुद्ध मुहिम में प्रशासन और आम जनता की भी भागेदारी जरूरी
जनहित में जारी लेख :विनीत सिंह (सोलन) हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में नशे के विरुद्ध मुहिम में प्रशासन और आम जनता को भी शामिल होना, होगा तभी हम अपने और दूसरों के बच्चों नौजवान युवक-युवतियों के जीवन बचा पाएंगे।
आज गुटखा, खैनी, जर्दा, भंग, चरस, कोकेन, शराब और अब चिट्टा जैसे जानलेवा नशे, नशे के बाजार में उपलब्ध हैं जो हमारे समाज और राष्ट्र के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप है।
हमारे देश के साथ बहुत बड़ी साजिश के तहत नौजवानों के कीमती जीवन के साथ खिलवाड़ है।
आप सभी को ज्ञात है कि हमारे पड़ोसी राज्य और हमारे हिमाचल प्रदेश में बढ़ते नशे के मामलों के ग्राफ और प्रतिदिन सुनने और देखने में आते हुए इन नशे के केस जिनकी वजह से हमारे देश के नौनिहाल नवयुवक मौत की गर्त में जा रहे हैं।
ये सब एक थोड़ी सी खुशी और मजा पाने के चलते शुरुआत में केवल एक अनुभव के तौर पर अपनाते हैं बाद में जब इनको इस नशे की आदत पड़ जाती है तो उसे पाने के लिए किसी भी तरह के हथकंडे अपनाते हैं चाहे उसे खरीदने के लिए अपने माता-पिता से झूठ ही क्यों न बोलना पड़े किन्ही मामलों में तो घरों में चोरी और हत्या तक के अपराध कर के अपने नशे की लत को पूरा करते हैं।
आज हमारे समाज में इन नशे के कारोबारियों या यूं कहें कि मौत के सौदागरों के हौंसले इस लिए भी बुलंद हैं कि इनको लेने वाले खरीदने वाले आसानी से उपलब्ध हैं।
रोजाना अखबार की सुर्खियों में ओवर डोज से मरने वालों की खबरें छपती हैं।
अब इन नशे बेचने वालों ने अपने चंगुल में केवल अनपढ़ या कम पढ़े लिखे और लेबर क्लास ही नहीं बल्कि पढ़े- लिखे युवकों और युवतियों 1को भी ले लिया है।
वो माता - पिता जो बड़े अरमानों से अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर बढ़ा करते हैं कि वो उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा अपने घर और अपने राष्ट्र के कुछ काम आएगा जब वो ही बच्चा नशे जैसी घृणित और जानलेवा वस्तु के चंगुल में फंस जाता है तो उन मां - बाप के दिल पर क्या गुज़रती होगी।
नशा करने वालों के परिवार को भी हेय दृष्टि से देखा जाता है।
क्या करें कि नवयुवकों को लगने वाली इस महा - रोग से बचा सकें
नशे जैसे जहर के प्रति कैसे पैदा हो जागरुकता और अपराधबोध
माता - पिता और शिक्षको और लेखकों को भी आज ये भूमिका निभानी होगी कि ऐसे गम्भीर विषय पर खुल कर बात करें और इसके महा दुष्प्रभावों को साझा करें।
हिमाचल प्रदेश के नवयुवकों को नशे से बचाने के लिए हमें कई कदम उठाने होंगे।सबसे पहले, हमें युवाओं को नशे के प्रति जागरूक करना होगा और उन्हें इससे उत्पन्न घोर परिणामों के बारे में बताना होगा।
इसके लिए हम स्कूलों और कॉलेजों में नशा निवारण कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं।शॉर्ट मूवीज और वीडियो क्लिप से भी जागरूकता लाई जा सकती है।
इसके अलावा, हमें युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इसके लिए हम खेल, संगीत, और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकते हैं।
हमें समाज में नशे के प्रति सामूहिक दृष्टिकोण को बदलने की भी आवश्यकता है।
इस प्रकार के विज्ञापनों जो कि गुटखा तंबाखू और शराब जैसे व्यसनों को बढावा देते हैं उनको भी हमें नकारना होगा।
इसके लिए हम समुदाय-आधारित कार्यक्रमों को आयोजित कर सकते हैं जो नशे के प्रति जागरूकता बढ़ाते हैं और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
अंत में, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नशे के आदी लोगों को उचित उपचार और समर्थन प्राप्त हो। इसके लिए हम नशा निवारण केंद्रों को स्थापित कर सकते हैं जो लोगों को नशे से मुक्ति पाने में मदद करते हैं।
पुलिस प्रशासन व मीडिया को ऐसे संदिग्धों और उनके वितरण के अड्डों की जानकारी देकर भी बहुत हादसे होने से बचाया जा सकता है।
इन कदमों को उठाकर, हम हिमाचल प्रदेश के नवयुवकों को नशे से बचा सकते हैं और उन्हें स्वस्थ और सुखी जीवन जीने में मदद कर सकते हैं।
जनहित में जारी लेख :- विनीत सिंह (सोलन)
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