अभी भी नहीं सम्भले तो फिर कब संभलो
अभी भी नहीं सम्भले तो फिर कब संभलोगे
लेख :- विनीत सिंह (सोलन) हिमाचल प्रदेश
जुलाई 2023 में लगातार भारी वर्षा से आयी आपदा की दिल दहला देने वाली आपदा से भी यदि हम लोगों ने सबक नहीं लिया तो आने वाले समय में अपना व अपनी पीढ़ी का भविष्य अपने आज के ऐश्वर्यशाली और आरामदायक बहुमंजिला इमारतों का निर्माण करके गर्त में धकेल रहे हैं।
इसमें न केवल इन इमारतों के मालिक बल्कि इन इमारतों को बनाने के लिए मंजूरी देने वाली सरकारी संस्थाएं, विभाग भी उतने ही दोषी हैं जितने कि ये स्वयं।
दोषी इसलिए कि जब भी कोई इन बहुमंजिला इमारतों को बनाने के लिए कोई व्यवसायी बिल्डर अपने भवनों का नक्शा पास करवाने के लिए अपना प्रपोजल लेकर नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के दफ्तर में जाता है तो उसके जहन में एक ही बात होती है कि जैसे भी येन केन प्रकारेण करके बस अपना उल्लू साधना है फिर चाहे किसी भी भ्रष्ट अधिकारी को कोई भी प्रलोभन क्यों न देना पड़े, और हमारे देश का दुर्भाग्य देखो की ऐसा हो भी जाता है।
जब ये इमारतें तैयारी पर होती हैं तो देखते ही देखते इनके फ्लैट्स ग्राहक खरीद भी लेते हैं और बिना ये जांचे परखे की इन इमारतों का आने वाले कल का भविष्य क्या होगा।
इसी कड़ी में प्रदेश के एक जानी - मानी अखबार एजेंसी ने बहुत ही महत्तवपूर्ण लेख और रिपोर्ट भी प्रकाशित की जिसमें की हिमाचल प्रदेश जैसे बहुत ही खूबसूरत प्रदेश जोकि भूकंप जैसी आपदा में बहुत ही सम्वेदनशील भूकंपीय क्षेत्र जोन 2,3,4 और 5 में गिना जाता है इस देव भूमि पर यदा- कदा हल्के और तीव्र गति के झटके भी वर्षों से महसूस किये जा रहे हैं।
जुलाई 2023 में मात्र 4-5 दिनों में भारी वर्षा से होने वाली विनाशलीला में सेंकड़ों घरों और इमारतों को नुकसान पहुंचा जिसमें की जान और माल दोनों की घोर क्षति हुई जिसको की आज भी भुगत भोगी लोग याद करते हैं तो सिहर उठते हैं।
आज लोग इन सब बातों को भूल कर फिर वो ही नदी नालों के किनारों के नजदीक अपना आशियाना बनाए जा रहे हैं जबकि इन नदी नालों ने मनुष्य को पहले ही चुनौती दे दी है कि हमारे रास्ते मत रोको अन्यथा अंजाम बुरा होगा।
उल्लेखनीय है वर्ष 1905 में राज्य के कांगड़ा और चम्बा जिलों में विनाशकारी भूकम्प आने से 10 हजार से अधिक लोग मारे गए थे।
इसमें बाद में हमारी मोजूदा सरकारों को भी बचाव प्रबंधन और मदद व मुआवजा जैसे दौर से गुजरना पड़ता है, जिससे कि राष्ट्र को भी बहुत बड़ी हानि का सामना करना पड़ता है, ऐसे तो हमारे प्रशासन और सरकारों का ये परम कर्तव्य है कि ऐसी आपदाओं में देश के नागरिकों की जान और माल की सुरक्षा करें किन्तु बात मुद्दे की हो रही है कि आ बैल मुझे मार की तर्ज़ पर जिस प्रकार तथाकथित धनी कॉलोनियों में जहां पर की भवन निर्माण के नियमों को ताक पर रखकर लगातार भवनों की बढ़ोतरी हो रही है ये विषय सच में चिंताजनक है।
हिमाचल प्रदेश में अब हर शहर के लिए भवन निर्माण के अलग-अलग नियम होंगे।
इसके लिए सरकार डेवलपमेंट प्लान तैयार कर रही है। इसके तहत शिमला और कुल्लू, जबकि धर्मशाला, ऊना, मंडी, सोलन, नाहन और चंबा शहर में प्लान के तहत नियम बनाए गए हैं। अब नगर निकायों के लिए भी डेवलपमेंट प्लान बनाने के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है।
डेवलपमेंट प्लान में भवन बनाने के लिए स्ट्रक्चर डिजाइन और इंजीनियर की रिपोर्ट होना जरूरी है। बिजली, पानी, सड़कों, मंडियों व अन्य मूलभूत सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसे बनाया गया है। शिमला डेवलपमेंट प्लान की तर्ज पर शहरी निकायों के लिए भवन बनाने के प्लान बनाए गए हैं। प्राकृतिक आपदा में जो मकान गिरे या क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनका मुख्य कारण स्ट्रक्चर डिजाइन और इंजीनियरों से सलाह न लिया जाना बताया जा रहा है। शिमला प्लानिंग एरिया में तीन से पांच मंजिला तक भवन बनाने को अनुमति दी गई है। जहां पांच मीटर सड़क है, वहां लोग पांच मंजिला तक भवन निर्माण कर सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश में जहां सड़क सुविधा नहीं है, या सड़क संकरी है यानि कि 5 मीटर से कम है, वहां दो मंजिला भवन और एटिक का निर्माण किया जा सकता है। इसकी ऊंचाई 10 फुट के करीब की गई है। यानी इसे मिलाकर लोगों को तीन मंजिलें मिल रही हैं।
साथ ही ये प्लान प्रदेश सरकार अन्य शहरी निकायों के लिए भी तैयार कर रही है। इसका मुख्य कारण है कि जब कभी प्राकृतिक आपदा या कोई अन्य आपदा आती है तो किसी भी और भवन का व उसमें रह रहे निवासियों का जान व माल का कम से कम नुकसान हो तथा आपदा प्रबंधन में असुविधा न हो!
प्रदेश में 59 शहरी निकाय हैं।
टीसीपी मंत्री राजेश धर्माणी ने विधानसभा में इसे लेकर विस्तृत जानकारी दी है।
टीसीपी मंत्री धर्माणी ने कहा कि आपदा के हिसाब से हिमाचल प्रदेश काफी संवेदनशील है, सबसे ज्यादा खतरा भूकंप से हैं इसलिए उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के लिए डेवलपमेंट प्लान बनाने की सख्त जरूरत है।
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