15 अप्रैल 77 वां हिमाचल दिवस


15 अप्रैल 77 वां हिमाचल दिवस  

लेख :विनीत सिंह 

भारत देश की विशालता का दुनियाँ में कोई भी देश मुकाबला नहीं कर सकता है क्योंकि जहां भारत देश कईं मायनों में बाकी दुनियाँ के मुकाबले क्षेत्र फल की दृष्टि से भी बड़ा है वहीँ भाषा, संस्कृति और सामाजिक रीति-रिवाजों में विभिन्नता होते हुए भी हम सब एक हैं और अनेकता में एकता इस प्रजातांत्रिक देश की महानता को और भी बड़ा और महत्वपूर्ण बना देती है 

देश के सभी प्रांतों में भारत देश के उत्तर पश्चिम में बसा ये हिमाचल राज्य जो कईं बार छोटी- छोटी रियासतों को विलय कर और पुनर्गठन कर जोड़कर बना ये राज्य अब लगभग 56000 किलोमिटर प्रति वर्ग के क्षेत्रफल में फैला है। 

बहुत ही कम लोग जानते हैं, कि हिमाचल प्रदेश को पहले त्रिगर्त:के नाम से जाना जाता था, क्योंकि यह राज्य रावी, व्यास और सतलुज की तलहटी में स्थित है इसी कारण से इसका नाम ये पड़ा। 

इसकी प्राकृतिक सोंदर्य, वृक्ष पौधों और पहाड़ों की  हरित शृंखला को देखते और कल कल बहते झरनों को देखते हुए इस सुन्दर प्रांत को और यहां रहने वाले लोगों की सरलता और धार्मिक भावनाओं को देख कर देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। 

ये राज्य देश के अन्य राज्यों से भिन्न शांत है यहां पर आपराधिक घटनाओं के दृष्टिकोण से भी सुरक्षित है इसलिए मैदानी इलाकों से आकर पर्यटक अपना समय बिताने और मनोरंजन करने व प्राकृतिक सोंदर्य को निहारने आते हैं। 

क्योंकि यहां की पहाडियाँ ज्यादातर बर्फ से ढ़की रहती हैं और बर्फीले पहाड़ों के आँचल के कारण भी इस प्रदेश का नाम हिमाचल रखा गया। 

यहां की नदियों के अनवरत रूप से बहने के साथ ऊर्जा के स्त्रोत विद्युत संयंत्रों और बड़े बड़े प्रोजेक्टों के माध्यम से न केवल हिमाचल प्रदेश में पर्याप्त खपत के बाद  पड़ौसी प्रदेशों में भी बिजली बेची जाती है। 

हिमाचल प्रदेश शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बहुत अच्छा है। आर्थिक दृष्टिकोण से भी पहले के मुकाबले बहुत उल्लेखनीय विकास हुआ है। 

यहां पर बेटियों के होने पर दुःख नहीं मनाया जाता बल्कि माँ लक्ष्मी का स्वरुप मानकर खुशी मनाई जाती है यही कारण है कि लिंग अनुपात में हिमाचल के आंकड़े और राज्यों से कहीं बेहतर हैं।

खूबसूरत हिमाचल देव भूमि हरा भरा प्रदेश हर किसी का मनपसंद हिल स्टेशन सबके मन को मोह लेता है। 

यहां का वातारण, लोगों की सादगी उनका रहन- सहन आज काफी कुछ आधुनिकता के नाम पर खो सा गया है। 

अब केवल दूर दराज के गांव कस्बों या स्थानीय वासियों को छोड़कर अब काफी आबादी अन्य प्रदेशों से आकर स्थाई रूप से बस गई हैं ।

जिनमे हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार इत्यादि से हैं 

जोकि या तो अपने निजी  कारोबार करते हैं या नोकरी पेशा है,या कामगार दिहाड़ी मजदूरी करते हैं।

प्रत्येक वर्ष 15 अप्रैल को हिमाचल दिवस मनाया जाता है।

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