आखिर क्या है ? आदर्श आचार संहिता !आइए जानें
आखिर क्या है ? आदर्श आचार संहिता ! आइए जानें।
(Model Code of Conduct)
साथियो लोकतंत्र के इस महापर्व जिसको की राजनीतिक चुनाव कहा जाता है,ये प्रजातंत्र की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कड़ी आम जनता या मतदाता होता है, जो कि अपने अमूल्य मत के अधिकार का प्रयोग करके अपने नेता या प्रतिनिधि को चुनते हैं ।
इन्हीं राजनीतिक चुनाव प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता लगती है। जिसे की साधारण भाषा में व्यावहारिकता या आचरण से लिया गया है।
क्या होती है आचार संहिता ? आप सभी के मन में एक सवाल जरूर पैदा होता होगा कि ये आचार संहिता आखिर है क्या? तो आज हम आपके समक्ष इसकी विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।
विधान सभा या लोकसभा के चुनाव व आम चुनाव की तारीखें लागू करने के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है, इसके लागू होते ही किन - किन चीजों की मनाही होती है, किन - किन चीजों का ध्यान रखना होता है।
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा कुछ नियम बनाए जाते हैं. इन नियमों को आचार संहिता कहते हैं. लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियों, नेताओं और सरकारों को इन नियमों का खासतौर पर पालन करना होता है. जब लोकसभा चुनाव होता है तो पूरे देश में और जब विधानसभा चुनाव होता है तो संबंधित राज्य में आचार संहिता लागू होती है।
आचार संहिता के दौरान कोई भी प्रदेश या राज्य का मन्त्री या मुख्यमन्त्री कोई घोषणा जनता के लिए नहीं कर सकता और न ही शिलान्यास करके या भूमिपूजन और लोकार्पण कर कोई लुभावने प्रलोभन दे सकता है जिससे कि चुनाव की दिशा प्र दिशा पर कोई प्रभाव पड़ता हो
जनता को मन लुभावने प्रलोभन नहीं दे सकता,
कोई भी ऐसी गति विधि में शामिल नहीं हो सकता जिससे आपसी सौहार्द या धार्मिक सामाजिक, भाषा भाषियों के बीच तनाव की स्थिति या वातारण बिगड़ने की संभावना हो।
ये निश्चित किया जाता है कि राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंदी दलों के निजी जीवन का सम्मान करें और उनके घर के सामने किसी प्रकार का रोड शो या प्रदर्शन करके उन्हें परेशान न करें।
चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी राजनीतिक पार्टी और उनके प्रत्याशियों को लाउड स्पीकर का इस्तेमाल करने से पहले स्थानीय अधिकारीयों से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
राजनीतिक दलों को यह ध्यान रखना होता है कि उनके द्वारा आयोजित रैलियों और रोड शो से यातायात प्रभावित नहीं होना चाहिए।
आचार संहिता का सबसे महत्वपूर्ण निर्देश है की प्रत्याशी किसी भी कीमत पर मतदाताओं को किसी प्रकार का प्रलोभन नहीं दे सकते हैं।
अक्सर प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को शराब वितरण और पैसे सहित कईं प्रकार के उपहार देने की बात सामने आती है. वह करना पूरी तरह से वर्जित है।
आचार संहिता के अनुसार सार्वजानिक स्थान जैसे सरकारी सराय, मीटिंग मैदान और हेलिपैड आदि सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के बीच बराबरी में उपयोग किया जाए. उस पर एकाधिकार न जताया जाए।
चुनाव के दिन प्रत्याशी अपने राजनीतिक दल का चिन्ह पोलिंग बूथ के आस-पास नहीं दिखा सकते. चुनाव समिति द्वारा दिए गए वैद्य पास के बगैर कोई भी बूथ में नहीं घुस सकता।
चुनाव बूथ के पास एक व्यक्ति ऐसा होगा जिसके पास किसी प्रकार की शिकायत की जानकारी दी जा सकती है।
शासक दल के मंत्री खास तौर पर किसी भी अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर सकते जो मतदाताओं को उनके दल को मत देने की और प्रभावित करे।
यदि कोई प्रत्याशी इन नियमों का पालन नहीं करता उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ़ कड़ी कार्यवाहि कर सकता है, उसको चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है,उम्मीदवार के खिलाफ एफ. आई. आर. दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।
लोकसभा के आम चुनावों का बिगुल बज गया है चुनावों के इस महापर्व का पहला पड़ाव 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 07 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और अन्तिम पड़ाव 01 जून 2024 को हिमाचल प्रदेश में चुनाव हैं इन चुनावों में सभी मतदान करने वाले महिलाओं और पुरुषों से विनम्र आग्रह है,कि आप सभी बड़-चड़ कर हिस्सा लें, विशेषकर उन नौजवानों को जो कि अपने मत का पहली बार प्रयोग करेंगे वो अवश्य ही सही निर्णय लेकर अपने अमूल्य मत के अधिकार का इस्तेमाल करें और विकास की राह पर ले जाने वाली अपनी मनपसंद सरकार को और उसके प्रतिनिधि व प्रधान सेवक को चुनें।
(देश को बनाना है, दोष को हटाना है)
✒️(जर्नलिस्ट)
विनीत सिंह
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