संविधान दिवस 26 नवंबर 2022


 लेख :- विनीत सिंह / सोलन


26 नवंबर 1949 को हमारे देश ने बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा रचित संविधान को अपनाया और 26 जनवरी 1950 को देश में लागू किया गया भारतीय संविधान को भारत सरकार ने 2015 में बाबा साहेब अम्बेडकर के सम्मान में 'संविधान दिवस' मनाना शुरू कर दिया था 
संविधान द्वारा मूल रूप से सात मूल अधिकार प्रदान किए गए थे- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार 
हमारे देश के संविधान में सभी नागरिकों को समान रूप से अधिकार प्राप्त हैं 
सोचो यदि हम किसी ऐसे देश में पैदा हुए होते जहाँ पर हमें बोलने की, अपने तरीके से रहने की, या खाने पीने की आजादी ना होती तो आज हम भी किसी तानाशाही के शिकार हो रहे होते, हमने हिन्दु राष्ट्र में जन्म लेकर सभी धर्मों जातियों के साथ मिलकर रहने व इंसानियत के साथ दयालुता का पाठ भी सीखा है।
धन्य हों हमारे पूर्वज, धन्य हमारे माता- पिता, हमारे गुरु जन, हमारे देश का  संविधान, ऐसी स्वयंसेवी संस्थाएँ हमारे देश के प्रतिनिधि हमारे नायक व ऐसे न जाने कितने और हमारे परोपकारी लोग, जो कभी भी सामने आकर नहीं बल्कि गुप्त रूप से अपने परोपकार में लगे रहते हैं, व समाज को कुछ ना कुछ देकर जाते हैं।
प्रकृति ने हमारे चारों ओर विभिन्न प्रकार के रंग बिखेरे हैं, हमारे आसपास के सारे पेड़, पौधे और बहुत ही खूबसूरत फूलों से सजा हुआ संसार, चहचहाती हुई चिड़ियाँ, मासूम से छोटे - छोटे पालतू जानवर ऊँचाइयों से गिरते झरने, नदियाँ तालाब और ना जाने प्रकृति के कितने अजूबे कहने का तात्पर्य है कि हमारी समस्त धरती बहुत ही खूबसूरत है, ऐसे ही हमारे भारत देश की अनेकता में एकता का प्रतीक हमारे देश का संविधान है, जिसमें कि हम चाहे जिस भी धर्म, जाति या रंग व वेश भूषा, भाषा से क्यों न हों इतिहास गवाह है कि जब - जब भी देश पर संकट के बादल मंडराये तब - तब हम समस्त देश वासी एक साथ खड़े होते हैं। 
धन्य हैं, हमारी देश की भूमि जहां पर ऐसी संस्कृति है। 
हम सभी ये प्रार्थना करें कि हमारी एकता अखंडता बनी रहे और हमारा मस्तक सारे संसार में ऊंचा रहे।
हमें हमारे राष्ट्र में अपनी बात कहने अपना पक्ष रखने की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है,हमारे देश के संविधान में लोकतंत्र के  चार स्तम्भ न्यायपालिका, कार्यपालिका, जो विधायका और चौथा हमारा मीडिया हैं, जिनपर की लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित है।
कई बार कहते सुना होगा कि देश का संविधान खतरे में है, हमें यहां रहते डर लगता है। ऐसे लोगों को ज़वाब है कि जिस देश का संविधान इतना सुघड़ हो वो सभी नागरिको के लिए समान हो फिर चाहे किसी भी वर्ग का क्यों न हो विधाएँ सभी पर एक समान लागू होती हैं।



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